बात बहुत पुरानी नहीं है।
घर की बैठक में एक पिता अपने बेटे से पूछते थे — “बेटा, इंजीनियर बनोगे या डॉक्टर?”
और बेटा, जो उस समय नींबू पानी पी रहा होता था, जवाब देता — “पापा, यूट्यूबर बनना है।”
पिता चश्मा उतारते। माँ हाथ में तुलसी की माला कसकर पकड़तीं। और घर में एक मौन छा जाता — 'क्या हो गया है आज की पढ़ाई को?'
पर इसी जयपुर की मिट्टी में, एक बीज पनप रहा था। एक ऐसा विश्वविद्यालय, जो केवल डिग्री नहीं देता — दिशा देता है।
नाम है — Vivekananda Global University (VGU)
यहाँ पढ़ाई होती है, पर किताबों में सीमित नहीं।
यहाँ परीक्षा होती है, पर नंबरों से नहीं — नज़रियों से।
यहाँ के छात्र सिर्फ "पास" नहीं होते। वे कुछ बदल कर निकलते हैं।
हर माता-पिता के सपने एक जैसे होते हैं —
“बच्चा अच्छा इंसान बने, अच्छा करियर बनाए, और शाम को फोन करे तो पूछे — माँ, खाना खाया?”
VGU उसी सपने की पाठशाला है।
यहाँ एक छात्र जब सिविल इंजीनियरिंग करता है, तो वह गांव में जल-प्रबंधन की योजना भी बनाता है।
जब कोई फैशन डिज़ाइन सीखता है, तो साथ में Tribal Textiles पर रिसर्च करता है।
यहाँ करियर और संस्कार साथ चलते हैं।
कभी-कभी माता-पिता कहते हैं —
“हमें कुछ बड़ा नहीं चाहिए, बस बच्चा खुश रहे।” VGU यही करता है — खुशियाँ पढ़ाई में भरता है।
हमारे पास एक माँ की चिट्ठी आई थी:
“मुझे गर्व तब हुआ जब मेरा बेटा पहली बार कॉलेज से घर लौटा और मुझसे पूछा — ‘माँ, घर के पास वाली आंगनबाड़ी में बिजली क्यों नहीं है?’
मैंने जवाब नहीं दिया। लेकिन दिल से कहा — ये बच्चा अब कुछ करेगा।”
VGU अपने छात्रों को केवल नौकरी की तैयारी नहीं कराता —
उन्हें दुनिया की ज़रूरतों के लिए तैयार करता है।
ये कोई “विदेश जाने की होड़” नहीं है।
ये है — “भारत में रहकर भी विश्व-मान्यता पाने की क्षमता।”
हमने एक बार एक छात्र से पूछा — “तुमने यहाँ आकर क्या सीखा?”
वो बोला —
“सर, सीखा कि फॉर्म भरना स्किल नहीं है, और फॉर्मेट तोड़ना कला है।”
हमने उसकी बात नोट की।
और उसी दिन से एडमिशन फॉर्म को एकदम सीधा, सरल और इंसानी भाषा में बना दिया।
VGU में शिक्षक सिर्फ किताबों के पन्नों तक सीमित नहीं। वे छात्र की जिज्ञासा के मित्र होते हैं।
VGU के छात्र जब निकलते हैं, तो उनके पास सिर्फ एक कागज़ नहीं होता —
उनके पास होती है सोच, स्पष्टता, और समाज के प्रति समझ।
एक पिता ने कहा था —
“मेरे बेटे ने यहाँ पढ़ाई नहीं की, यहाँ उसने खुद को पाया।”
यह कहानी सिर्फ एक विश्वविद्यालय की नहीं। यह कहानी है उन माँ-बाप की, जिन्होंने कहा —
“हमें बच्चा वो चाहिए, जो भीड़ में नहीं, सोच में आगे हो।”
और उन छात्रों की, जो कहते हैं —
“मुझे वहाँ पढ़ना है, जहाँ मुझे सिर्फ स्कोर नहीं, स्कोप भी मिले।”
Vivekananda Global University — जयपुर में स्थित, पर सोच में वैश्विक।
जहाँ से एक छात्र निकलता है,
और दुनिया कहती है —
“काश, मेरा भी बेटा वहाँ पढ़ा होता।”
Author: Dr. K.R. Bagaria, (Ex-Member, RPSC), Founder & Vice Chairperson, VGU, Jaipur